Child Adoption Procedure in India
अक्सर आपने सुना होगा को फलां व्यक्ति या दंपत्ति ने बच्चा गोद लिया है. बच्चा गोद लेने के लिए मुख्यतः वही लोग या दंपत्ति इच्छुक होते हैं जिन्हें सन्तान सुख नहीं मिलता है, या जो लोग वर्किंग प्रोफेशनल है और परिवार बनाने के लिए पूरी लम्बी प्रक्रिया से नहीं गुजरना चाहते हैं या जिनके परिवार में केवल एक लड़का या लड़की ही है और वे अपना परिवार पूरा करना चाहते हैं.
इस लेख में हम आपको यह बताएँगे कि भारत में बच्चा गोद लेने की क्या प्रक्रिया है और कौन-कौन व्यक्ति बच्चा/दंपत्ति बच्चा/बच्ची गोद ले सकता है.
गोद लेने के निम्न प्रकार हैं;
खुला दत्तक ग्रहण (Open Adoption): इस प्रकार के दत्तक ग्रहण में बच्चे को यह अधिकार होता है कि वह कि जब बच्चा 18 वर्ष का हो जाता है तो वह अपने गोद लेने सम्बन्धी सभी कागजात देख सके. बच्चे की जैविक माँ या सगी माँ को यह अधिकार होता है कि वह बच्चे को गोद देने के बाद अपने बच्चे से मिल सकती है. हालाँकि दूसरे पक्ष की सहमती भी जरूरी है.
अर्ध खुला दत्तक ग्रहण (Semi Open Adoption): इसमें बच्चे की सगी माँ बच्चे को गोद देने के बाद उससे नहीं मिल सकती है. हालाँकि गोद देने से पहले सगी माँ को यह तय करने का अधिकार है कि बच्चा किसे गोद दिया जाये या कौन उस बच्चे के दत्तक माँ बाप होंगे. इसके अलावा इसमें सारी प्रक्रिया खुला दत्तक ग्रहण के जैसी ही है.
बंद दत्तक ग्रहण (Closed adoption): इस प्रकार के ग्रहण में गोद देने वाले और गोद लेने वाले माता पिता के बीच (ना तो गोद देने से पहले और ना ही गोद लेने के बाद) में कोई संपर्क नहीं होता है
अंतर परिवार दत्तक ग्रहण (Intra family Adoption): कभी कभी कुछ दंपत्ति अपने किसी रिश्तेदार या परिवार के किसी बच्चे को गोद लेते हैं.
देशज दत्तक ग्रहण (Domestic Family Adoption): इस प्रकार के ग्रहण में जैविक माता पिता और दत्तक माता पिता एक ही देश के नागरिक होते हैं.
अंतरराष्ट्रीय दत्तक ग्रहण (International Adoption): इस प्रक्रिया में दत्तक माता-पिता किसी दूसरे देश के बच्चे को गोद लेते हैं.
अब जानते हैं कि भारत में गोद लेने की क्या प्रक्रिया है?
इस प्रक्रिया को निम्न चरणों में बाँट सकते हैं;
जिस भी व्यक्ति या दंपत्ति को बच्चा गोद लेना है उसको अपना रजिस्ट्रेशन उसी एजेंसी के पास कराना चाहिए जो कि एडॉप्शन कोआर्डिनेशन एजेंसी अथवा सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी (CARA) के पास रजिस्टर्ड हो. CARA महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की एक शाखा है.
1. पेरेंट्स को सबसे पहले वेबसाइट (http://carings.nic.in) पर गोद लेने के इच्छुक आवेदक के तौर पर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इसके अलावा भावी माता पिता को CARA द्वारा प्रमाणित एडॉप्शन प्लेसमेंट एजेंसी के पास अपना नाम लिखाना चाहिए.
2. इसके बाद रजिस्ट्रेशन फॉर्म सफलतापूर्वक जमा करने के लिए कई दस्तावेज (जैसे उनकी आर्थिक स्थिति, बीमारी, शादी का स्टेटस, एड्रेस प्रूफ, उम्र के प्रमाण पत्र इत्यादि) वेबसाइट पर अपलोड करने होंगे. सभी दस्तावेज अपलोड कर दिए जाने के बाद आपका आवेदन विचार के लिए तैयार हो जाएगा.
3. इसके बाद गोद लेने के इच्छुक व्यक्ति या दंपत्ति की काउंसलिंग और इंटरव्यू लिया जाता है. एक सामाजिक कार्यकर्ता के द्वारा दत्तक माता पिता के बारे में पूरी जानकारी इकठ्ठा की जाती है. यह जानकारी जरूरी दस्तावेज जमा करने के 30 दिन के भीतर इकठ्ठा कर ली जाती है. एक बार पूरी हो जाने के बाद यह तीन साल की अवधि के लिए वैध होती है. यदि इस समय तक सब कुछ नियमों के मुताबिक सही पाया जाता है तो फिर प्रतीक्षा काल शुरू होता है.
4. जब एजेंसी को एक उपयुक्त बच्चा मिल जाता है तो वह भावी माता पिता को इसकी जानकारी देते हैं. यदि दंपत्ति बच्चे को गोद लेने के लिए सहमती देते हैं तो उनको कुछ दस्तावजों पर हस्ताक्षर करने के बाद बच्चे को माता पिता को सौंप दिया जाता है.
5. इसके बाद एजेंसी का वकील दत्तक माता पिता की ओर से किशोर न्यायालय बोर्ड अथवा न्यायालय में याचिका दाखिल करता है जिसके तहत बच्चा गोद लेने की मंजूरी मिल जाती है.
6. दत्तक माता पिता रजिस्ट्रार ऑफिस में गोद लेने के प्रमाण पत्र को रजिस्टर करवाते हैं और जन्म प्रमाण पत्र के लिए आवेदन करते हैं.
नोट: ध्यान रहे कि पूरे भारत में गोद लेने की प्रक्रिया एक ही होती है लेकिन अलग अलग राज्यों में इसके दिशा निर्देश अलग अलग हो सकते हैं.
भारत में बच्चे को गोद लेने के नियम
1. आप पूरे भारत के किसी भी हिस्से में बच्चा गोद ले सकते हैं लेकिन दत्तक माता पिता के बारे में इन्क्वारी उसी राज्य की एजेंसी करती है जहाँ आप रह रहे हैं.
2. दत्तक माता पिता और गोद लिए जाने वाले बच्चे के बीच कम से कम 21 वर्ष का अंतर (यदि सिंगल पैरेंट है) होना चाहिए. इसके अलावा ऐसे दंपत्ति भी बच्चा गोद ले सकते हैं जिनकी संयुक्त उम्र 90 वर्ष से कम है.
3. गोद लेने से पहले शादीशुदा जोड़े के लिए जरूरी है कि उनकी शादी के कम से कम दो साल हो चुके हों. मतलब उन्होंने स्थाई वैवाहिक संबंधों के कम से कम दो साल पूरे कर लिए हों.
4. एक अकेली महिला लड़का या लड़की गोद ले सकती है, लेकिन अकेला पुरुष किसी बच्ची को गोद नहीं ले सकता है.
5. गोद लेने वाले माता-पिता किसी भी धर्म/जाति के, अनिवासी भारतीय और यहां तक कि भारत के बाहर रहने वाले गैर-भारतीय भी हो सकते हैं. वे सभी जुवेनाइल जस्टिस एक्ट (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन), 2015 के तहत एक बच्चे को अपनाने के पात्र हैं.
6. विकलांग भी अपनी अक्षमता की प्रकृति और सीमा के आधार पर बच्चा गोद लेने के पात्र हैं.
7. गे या लेस्बियन जोड़े भी गोद ले सकते हैं, लेकिन सिंगल पेरेंट के रूप में, परिवार के रूप में नहीं.
8. जिन लोगों के पहले से ही तीन या इससे अधिक बच्चे हैं वे लोग बच्चा गोद लेने के लिए योग्य नहीं हैं. हालाँकि विशेष स्थिति में वे भी बच्चा गोद ले सकते हैं.
गोद लेने के लिए जरूरी दस्तावेज हैं;
1. दत्तक पेरेंट्स का पहचान का प्रमाण (आधार कार्ड/ मतदाता कार्ड / पैन कार्ड / पासपोर्ट / ड्राइविंग लाइसेंस)
2. माता-पिता के जन्म प्रमाण पत्र
3. आय का प्रमाण
4. माता-पिता की फिटनेस का प्रमाणपत्र
5. निवास का प्रमाण
6. पारिवारिक फोटोग्राफ
7. शादी का प्रमाण पत्र
8. अगर गोद लेने वाला सिंगल पेरेंट है, तो कोई दुर्घटना हो जाने की स्थिति में बच्चे की देखभाल करने के लिए एक रिश्तेदार की सहमति
9. ऐसे दो व्यक्तियों के सिफारिशी पत्र, जो परिवार को अच्छी तरह से जानते हैं (करीबी रिश्तेदार नहीं होने चाहिए)
बच्चे के कानूनी हक क्या होते हैं?
जब किसी बच्चे को किसी और को गोद दिया जाता है तो बच्चे के नाम पर जो भी प्रॉपर्टी है, वह भी उसके साथ चली जाती है. यदि बच्चे के नाम कोई प्रॉपर्टी न हो और उसे गोद दिया जाए, तो गोद देने वाले के यहां से उसके सभी कानूनी हक खत्म हो जाते हैं और जिसने उसे गोद लिया है. इसके अलावा जिस दंपत्ति या व्यक्ति ने बच्चे को गोद लिया है उसके यहाँ बच्चे को सभी कानूनी अधिकार मिल जाते हैं.
इस प्रकार आपने पढ़ा कि भारत में बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया थोड़ी लम्बी और जटिल है. गोद लेने की प्रक्रिया जानबूझकर जटिल बनायीं गयी है ताकि गोद लिए गए बच्चे के सभी अधिकार सुरक्षित रहें और वह एक स्वस्थ जिंदगी जीकर एक सफल व्यक्ति या महिला बन सके.